हालात क्या हैं गांव के जरा आ के देख लो
खाली पड़े मकान में जरा धूप सेक लो
खंडहर में बदले गांव की जब याद आए तो
खाली हुए मकान से तुम गांव देख लो
जंगली पशु ने फसलों को बर्बाद किया है
अपने नेता ने झूठे वादों को आबाद किया है
गूंज उठती है ये गांव की भूमि से हमेशा
विकास के राहों में तुमने क्या काम किया है
हालात क्या हैं गांव के जरा आ के देख लो
खाली हुए मकान से तुम गांव देख लो
जलूस ये हर रोज निकलते हैं गांव में
विकास के नारों से लोग पिघलते हैं गांव में
जुनून में हर पल अब नेता है गांव में
बाकी सभी लोग तो नेता की छांव में
शिक्षा, स्वास्थ्य की ग्रामवासी आस लगाए
युवा शहर में रोजगार की तलाश लगाए
हालात क्या हैं गांव के जरा आ के देख लो
खाली हुए मकान से तुम गांव देख लो
- शशि प्रेम
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