वो आ रहे हैं

 वो आ रहे हैं भाग 1 नवीन का भय 

सन 2024 में जब नवीन अपना सुनहरा भविष्य देख रहा था तब नवीन के जीवन में कोई दबे पांव आ रहा था नवीन खुशहाल जीवन जी रहा था और विज्ञान अपनी प्रगति की ऊंचाईयों पर था नवीन एक इंटरमीडिएट का छात्र है। उसके पास सुख सुविधाओं से भरा जीवन है। जब नवीन अपने घर में सो रहा था उसे अजीब सपने आते हैं सपने में कोई उससे बात करता है की हम आ रहे हैं। वो आवाज उसके जीवन में घटित कई घटनाओं का उसे ब्योरा देते हैं मानो वो आवाज उससे कह रही हो की हम आपके बारे में सब जानते हैं।

जब नवीन की आंखे खुलती हैं तो उसके आस पास कोई नहीं था नवीन को समझ नहीं आ रहा था की ये आवाजे कहा से आ रही है।

नवीन संदेह से भरकर अपनी मां से कहता है की मां जब मैं नींद में था तो कोई मुझसे बाते तो नहीं कर रहा था।

नवीन की मां गुस्से से भरकर कहती है नींद में तुम से कौन बाते करेगा सपने में कोई भूत देख लिया क्या? यह तेरा रोज का नाटक है की भूत मुझे सपने में परेशान करते हैं। इस बार क्या हो गया किसी भूत से बातचीत चल रही थी।

नवीन थोड़ा परेशान होकर कहता है जाने भी दो मां मेरी पुरानी यादें सपने में आकर मुझसे मेरे जीवन के बारे में बात कर रही थी।

नवीन की मां धीरे आवाज में कहती है, पुरानी यादें के चक्कर में तू पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहा है आजकल ना जाने कौन सी पुरानी यादों में खोया खोया रहता है।

नवीन अपनी मां से कहता है, मैं पुरानी याद में नहीं खोया रहता बस कुछ यादें मुझे परेशान करती हैं। 

नवीन नाश्ता करता है, और कॉलेज जाने के लिए तैयार होता है। नवीन कभी कॉलेज का होमवर्क पूरा नहीं करता इसलिए उसे आज बहुत अधिक चिंता हो रही है की आज उसे शिक्षक फिर से सजा देगा। नवीन भगवान को याद कर रहा है की आज बचा ले भगवान फिर कल तक पूरा होमवर्क कर लूंगा। 

प्रार्थना के लिए जाते समय नवीन के दोस्त देख रहे हैं की नवीन रोज की तरह कुछ अलग बर्ताव कर रहा है

एक दोस्त रोहित मुस्करा कर नवीन से कहता है की तुम चलते वक्त दो कदम पीछे इसलिए चले ताकि आज तुम्हें सजा ना मिले।

नवीन - कुछ घबराया हुआ नहीं ऐसी बात नहीं है मैं क्लॉस में पढ़ाई को लेकर बहुत तनाव में हूं इसलिए ऐसा हुआ।

प्रार्थना के बाद सभी बच्चे कक्षा में जाते हैं और नवीन भी कक्षा में जाकर बैठ जाता है नवीन शर्मीले स्वभाव का इंट्रोवर्ट लड़का है नवीन के साथ पढ़ने वाले बच्चे उसे बुली करते हैं उसे गाली देते हैं लेकिन नवीन किसी का जवाब नहीं दे पाता वह बहुत सहमा हुआ रहता है। 

नवीन के बहुत कम दोस्त हैं जो उसके साथ अच्छे से पेश आते हैं। नवीन की एक गर्लफ्रेंड भी है जिसका नाम तारा है जो हर वक्त उसकी मदद करती है। उसे क्लास के नोट्स देती है उसका होमवर्क पूरा करने में उसकी मदद करती है।

कक्षा में टीचर नवीन को फिर से डांटते हुए कहता है की नवीन तुम आजकल बहुत बिगड़ रहे हो ना रेगुलर कॉलेज आते हो ना कभी होमवर्क पूरा करते हो टीचर गुस्से में जा बाहर निकल मेरी क्लॉस से, नवीन उठ कर बाहर आ जाता है और बाहर से क्लास रूम के अंदर देखने लगता है।

नवीन की ऐसी हालत देख कर नवीन की गर्लफ्रेंड बहुत दुखी हो जाती है। उसने नवीन को पहले बहुत बार समझाया की तुम रेगुलर कॉलेज आओ और अपना होमवर्क पूरा किया करो। लेकिन नवीन को कोई फर्क ही नहीं पड़ा नवीन का कॉलेज में ना आना और होमवर्क ना करने के पीछे कई तर्क थे जैसे कॉलेज के लड़के उसे बुली करते हैं क्लॉस में टीचर उसे मारता है। नवीन, तारा से कहता है की कालेज में बहुत ज्यादा काम दिया जाता है मैं उसे पूरा नहीं कर पाता। 

नवीन अगली क्लास के बारे में सोच रहा है जिसमें उसे मार पढ़ने वाली है क्यों की इस बार प्री बोर्ड गणित की परीक्षा में नवीन के जीरो नंबर आए हैं। 

दूसरी घंटी बजती है और नवीन डर से कांपने लगता है उसे सपने की वह बाते याद आ रही थी की हम आ रहे हैं नवीन और अधिक परेशान हो जाता है की मेरी जिंदगी में कौन आरहे हैं। 

कक्षा में नरेश सर आते हैं सभी बच्चे सर को गुड मॉर्निंग कहते हैं नवीन भी धीरे आवाज में गुड़ मार्निग सर कहता है। 

नरेश सबसे पहले नवीन को खड़ा करता है और उसके बारे में कहता है की क्या हो गया तुम्हें पिछले साल तक तुम पढ़ने में बहुत अच्छे थे रोज विद्यालय आते थे अपना होमवर्क पूरा करते थे अच्छे नंबरों से पास होते थे कक्षा में तुमने तीसरा स्थान भी हासिल किया। अब क्या हो गया अब तुम्हारे गणित में जीरो नंबर आ रहे हैं। 

नवीन कुछ नहीं कह पाता है तो सर उसकी थोड़ा पिटाई कर देते हैं लेकिन नवीन को कोई फर्क ही नहीं पड़ा वो अपनी ही धुन में मस्त था। 

कॉलेज के बाद तारा नवीन से मिलती है और कहती है की बाबा ने तुम्हारी बुद्धि खराब कर दी है तुम उसके चक्कर से बाहर निकल आओ आगे तेरा कोई भविष्य नहीं है इसलिए आज से हम नहीं मिल पाएंगे ये दोस्ती यहीं खत्म हो जाती है। अब बोर्ड की परीक्षा के लिए एक महीने का समय बचा है अब मुझसे मिलने की कोशिश भी मत करना। 

नवीन घर जाकर बाबा जी का सतसंग सुनने लगता है यह सतसंग उसने कल रात को डाउनलोड कर के रखे थे बाबा जी समझाते हैं यह संसार तो मोह माया है हमें तो निज घर सतलोक जाना है नवीन के जीवन में इस वर्ष इतने दुख आए की नवीन को बाबा जी की प्रत्येक बात सच लगने लगी।

नवीन एक साल से बाबा जी के सतसंग सुन रहा है और अपने कॉलेज की पढाई लिखाई पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा।

नवीन अपनी मां से बाबा जी से नाम दीक्षा लेने की जिद करता है लेकिन उसकी मां कहती है की तुम अपनी पढाई पर ध्यान दो।


वो आ रहे हैं भाग 2 बाबा जी 

नवीन एक महीने खूब मेहनत करके इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण कर लेता है। आज भी नवीन को डरावने सपने आए। सपने में कोई नवीन से फिर से कह रहा था की हम आ रहे हैं, और उसके बाद उस आवाज़ ने नवीन को जकड़ लिया। नवीन उस जकड़न से छूटने की कोशिश कर रहा था लेकिन नवीन पुरी तरह असफल रहा। कुछ देर बाद नवीन की नींद खुल जाती है, और वह चैन की सांस लेता है।

नवीन अपनी मां से परेशान हो कर कहता है की आज किसी ने मुझे नींद में जकड़ लिया।

नवीन की मां मुस्करा कर जवाब देती है की यह सब बाबा जी के  सतसंग का असर है।

कुछ दिन ऐसे ही बीत जाते हैं अब तारा भी नवीन से बात करना शुरु कर देती है क्यों की नवीन अपनी परीक्षा में अच्छे अंकों से पास हुआ और अब वह इंजीनियरिंग करने की सोच रहा है। नवीन और तारा की दोस्ती भी खूब जमती है 

रात को नवीन का पिता जी चंद्र मोहन घर आते हैं और अपनी पत्नी कोमल को आवाज देकर एक खुशखबरी सुनाते हैं की नवीन को सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला मिल गया है।

कोमल खुश हो कर कहती है अब नवीन की जिंदगी में खुशियां आ जाएंगी। नवीन पढ़ लिख कर ऑफिसर बनेगा और हमारा नाम रोशन करेगा।

नवीन आज सुबह से ही घर से गायब था परिवार वाले नवीन के बारे में आस पड़ोस और रिश्तेदारों से बात कर रहे थे की क्या किसी ने आज नवीन को देखा है।

नवीन अपनी ही दुनिया में खोया हुआ बाबा जी के सतसंग में जा पहुंचा और सेवादारों से कहने लगा की मुझे बाबा जी से गुरु मंत्र लेना है। 

सेवादार - ठीक है आज शाम 5 बजे आपको गुरुमंत्र मिल जायेगा लेकिन हमारे गुरु जी के कुछ नियम भी है आपको उनका पालन करना होगा नहीं तो आपका नाम खंडित हो जाएगा और आप सतलोक नहीं जा पाएंगे।

नवीन - मुझे यम नियम का पता है मूर्ति पूजा नहीं करनी है और बाबा जी को सुप्रीम गॉड मानना है। बाबा जी के अलावा किसी भी साधु संत की बात नहीं सुननी है। 

नवीन गुरु मंत्र लेकर एक बोतल में बाबा जी का चरणामृत लेकर खुशी खुशी घर चले गया। आज लग रहा था मानो उसे संसार की सबसे बड़ी खुशी मिल गई हो। जैसे अब नवीन के जीवन का लक्ष्य पूरा हो गया हो।

घर में प्रवेश करते ही नवीन की मां ने उसे बहुत डांटा की आज बिना बताए तू घर से कहा चला गया तुझे कुछ पता भी है की हम तेरे लिए कितने परेशान हो रहे थे। 

चंद्र मोहन गुस्से से भरकर नवीन को धमकाता है की दिनभर कहां घूम रहे थे थोड़ा घर की होश नहीं है तुम्हें आज खाना पीना हो गया है या अभी तक भूखे हो।

नवीन अपनी खुशी को छुपाते हुए जवाब देता है आज शहर में बाबा जी का सतसंग लगा था, दोस्त ने जबरदस्ती मुझे वहां ले गया। वहीं भंडारे में खाना खा लिया और आज बाबा जी से नाम दीक्षा भी ले ली।

कोमल गुस्से से आग बबूला हो जाती है की कैसी नाम दीक्षा बाबा जी से नाम दीक्षा लेकर तुम इस घर में नहीं रह सकते अभी निकल जाओ यहां से और यदि तुम यहां रहना चाहते हो तो बाबा जी की दीक्षा छोड़कर किसी दूसरे धार्मिक गुरु से दीक्षा लेनी होगी। 

बाबा जी की विचारधारा नवीन के परिवार वालों की धार्मिक भावना से मेल नहीं खाती थी इसलिए नवीन के घर वाले अब नवीन के भविष्य को लेकर चिंतित हो जाते हैं, और नवीन को समझाने की भरपूर कोशिश करते हैं। 

नवीन भी अपने विचारों से एक कदम पीछे नहीं हटता और घर छोड़ने के लिए तैयार हो जाता है।

चंद्र मोहन अपनी पत्नी और नवीन के बीच सुलह कराने की बहुत कोशिश करते हैं लेकिन उन दोनों में से कोई अपने कदम पीछे नहीं हटाता। 

नवीन चिलाते हुए जवाब देता है की जो मुझे रात को नींद में परेशान करते हैं उनका क्या मैं उनसे मुक्ति पाने के लिए बाबा जी की सरण में गया हूं। 

नवीन की मां नवीन को समझाते हुए जवाब देती है की उसका समाधान और पंडित और साधु संत भी कर सकते हैं। तुम्हें बाबा जी का चरणामृत पीने की कोई जरूरत नहीं है। तुम चाहो तो हम आज ही किसी विद्वान ब्राह्मण को बुलाकर उसका समाधान कर लेंगे। 

लेकिन नवीन एक बात को भी सुनने के लिए तैयार नहीं होता और घर छोड़ने का विचार बना लेता है। 

नवीन घर को छोड़कर किसी धर्मशाला में एक दिन के लिए रुक जाता है और अपने नित्य नियम पूरे करके बाबा जी का चरणामृत पाकर आनंदित हो जाता है। 

अगली सुबह नवीन के पिता जी नवीन को दूंढते हुए धर्मशाला में आते हैं और नवीन को अपने साथ घर चलने को कहते हैं।

चंद्र मोहन प्रेम से नवीन को समझाते हुए कहते हैं की कोई बात नहीं तूने गुरु मंत्र ले लिया तो ठीक है मैने तेरी मां को समझा दिया है तू हमारे साथ घर में ही रह सकता है। 

नवीन भी घर जाने के लिए तैयार हो जाता है दोनो घर पहुंचकर नवीन के लिए एक अलग कमरा साफ कर देते हैं जहां उनका स्टोर रूम था। नवीन की मां अब भी नवीन के विचारो से सहमत नहीं थी लेकिन मजबूरी में वह नवीन की बात मान लेती है।

चंद्र मोहन ने नवीन को घर तो ले आया लेकिन अब वे नवीन को परिवार से अलग थलग कर दिया नवीन स्टोर रूम में ही खाना खाता और वहीं अपने नित्यकर्म करके चरणामृत पीता। 

नवीन ने बाबा जी से नाम दीक्षा ले ली यह खबर आग की तरह नवीन के पड़ोसी और रिश्तेदारों के घर पहुंच जाती है। सब दोस्त और शुभचिंतक नवीन से दूरी बना लेते हैं क्यों की बाबा जी के धार्मिक विचार बहुत ही भिन्न थे।

कुछ दिन ऐसे ही बीत जाते हैं और नवीन भी अकेले परेशान हो जाता है। नवीन की दोस्त तारा नवीन के साथ खड़ी दिखाई देती है जो नवीन को समझाती है की घर वालों से नाटक करो की मैं बाबा जी की नाम दीक्षा छोड़ रहा हूं।

नवीन भी अकेलेपन से तंग आकर घरवालों से नाम दीक्षा छोड़ने के लिए कहता है की मैं बाबा जी का चरणामृत और किताबे उन्हें वापस देकर आता हूं।

वो आ रहे हैं भाग 3 नवीन का सतसंग 

नवीन शहर जानें के लिए तैयार हो जाता है क्यों की आज शहर में बाबा जी का सतसंग लगने वाला है, और नवीन को सेवादारों की कॉल आई की तुम्हें आज सतसंग में आना है।

नवीन सेवादारों से ना नहीं बोल पाया, और शहर जाने के लिए घर में झूठ बोल दिया की मैं बाबा जी की माला वापिस करने जा रहा हूं।

सतसंग स्थल पर पहुंचकर नवीन ने बाबा जी को दंडवत प्रणाम किया और सतसंग सुनने के लिए एक कोने में चुपचाप हो कर बैठ गया।

सतसंग सुनने के बाद नवीन ने प्रसाद ग्रहण किया और घर चले गया। नवीन ने माला और चरणामृत की बोतल छिपा कर घर में प्रवेश किया।

नवीन की मां अब बहुत खुश थी की नवीन ने बाबा जी की नाम दीक्षा छोड़कर, माला उन्हें वापस कर दिया।

नवीन घर में अब चोरी छिपे नाम जप और बाबा जी का चरणामृत पिया करता। लेकिन नवीन की ये खुशी अधिक समय तक नहीं रहने वाली थी। कुछ दिनों बाद टीवी में खबर आती है की बाबा जी पर देशद्रोह और अन्य मुकदमे दर्ज किए गए हैं। बाबा जी को गिरफ्तार कर लिया गया है। 

नवीन को इस खबर पर विश्वास नहीं आता और वह बाबा जी के सेवादारों को कॉल करके सच्चाई जानना चाहता है।

नवीन परेशान हो कर सेवादारों से कहता है की बाबा जी पर देशद्रोह का आरोप क्यों लगा। 

सेवादार नवीन को समझाते हुए जवाब देता है की यह बाबा जी के विरुद्ध साजिश रची गई है जिसमें बाबा जी को फंसाया जा रहा है। हमने इस कांड पर एक पूरी वीडियो बनाई है जाकर उसे देख लो।

नवीन अपने कमरे में जाकर चुपचाप वीडियो देखने लगता है जिसमें बताया जा रहा था की बाबा जी को एक झूठे मुकदमे में फंसाया गया। जब बाबा जी पेशी के लिए कोर्ट नहीं आए तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी का समन भेजा गया। बाबा जी के भक्तों ने पुलिस का पुरजोर विरोध किया। जिसके चलते बाबा जी के भक्तो और प्रशासन के बीच झड़प हो गई।

जब नवीन ने अखबारों की खबर देखी तो उसमें लिखा था, की गिरफ़्तारी से बचने के लिए बाबा जी ने हथियारों से लैस भक्तो को आगे कर दिया। जिन्होंने पुलिस का विरोध किया।

नवीन का बाबा जी से विश्वास उठ गया लेकिन बाबा जी ने अपने विचारों से नवीन का माइंड वास कर रखा था।

इसलिए नवीन अभी भी बाबा जी को निर्दोष समझ कर उनका सतसंग सुन रहा था।

चंद्र मोहन मुस्करा कर नवीन से कहता है देखो तुम्हारा बाबा तो देशद्रोही निकला। नवीन चुपचाप अपने पिताजी से कुछ नहीं कह पाता है। 

चंद्र मोहन - ठिक किया जो तुमने उनकी नाम दीक्षा और विचारो पर चलना छोड़ दिया। 

नवीन - मुझे मालूम नहीं था की बाबा जी इतने बुरे कर्म कर सकते हैं हमारे लिए तो वह भगवान थे।

चंद्र मोहन - ठिक है अब तुम अपनी पढाई पर ध्यान दो कल ही हम दोनो शहर जाकर तुम्हें वहां शिफ्ट कर देंगे तुम वहां अच्छे से अपनी इंजीनियरिंग की पढाई करना। 

नवीन यह खबर सुन कर खुश हो जाता है, और वह शहर जाने की तैयारी करने लगता है।

नवीन इंट्रोवर्ट लड़का है इसलिए वह शहर में अकेले ही रहने का फैसला करता है। 

नवीन और उसके पिताजी दोनों नवीन के लिए एक कमरा दूंढते हैं और नवीन के लिए सभी उपयोगी समान लेकर पास के ही दुकानदार से नवीन की जान पहचान करा करके नवीन के पिता अपने गांव कंवा वापिस आ जाते हैं। नवीन के गांव से उसके कॉलेज की दूरी तकरीबन 200 km होगी जिसके चलते वो अपने घर से दूर रहने लगता है।

कॉलेज में नवीन का पहला दिन होता है वह दूसरे ब्रांच की कक्षा में जाकर बैठ जाता है। चलते फिरते नवीन को अपनी क्लॉस मिल जाती है और वह अपनी कक्षा में जाकर दुखी हो जाता है क्योंकि वहां सिर्फ 5 बच्चों ने दाखिला लिया था।

सभी जरूरी डॉक्यूमेंट नवीन ने कॉलेज में जमा कर दिए और कॉलेज वाले अब उन्हें वापसी करने से इंकार कर रहे थे। नवीन दूसरे अच्छे कॉलेज में दाखिला लेना चाहता था। नवीन का दोस्त प्रभात उसे अपने कॉलेज में दाखिला लेना को कहता है। लेकिन अब नवीन मजबूरी में वहीं पढ़ने का फैसला करता है।

नवीन अब अकेले अपने कमरे में बैठा रहता और अपने बचपन के बारे में सोचकर दुखी हो जाता। अपना नाम जप करता और चरणामृत पाकर फिर से खुश हो जाता।

नवीन का बचपन बहुत ही कठिनाइयों में बीता। जिसे याद करके वह काफी दुखी हो जाता है। नवीन ने कभी किसी को पलटकर जवाब नहीं दिया। 

वह लोगों के सताए जाने पर भी अपने ही भीतर घुटता रहा।और आज जब नवीन अकेला है तो उसे वो नकारात्मक विचार बार बार परेशान करते हैं।आज नवीन के सपने में फिर कोई आया जिसने नवीन से बहुत बाते की उसने आज फिर से कहा की हम आ रहे हैं। नवीन को कुछ समझ नहीं आता की कौन मुझ से सपने में बात करता है।

नवीन और तारा की दोस्ती भी अब टूट जाती है कभी कभार फोन पर बात हो जाती है। नवीन अब सच में अकेला पड़ गया है पुराने दोस्त तो नवीन के कॉलेज का मजाक उड़ाया करते। नए दोस्त नवीन ने अभी तक किसी को नहीं बनाया। नवीन अब शहर में अकेला पड़ गया। 

नवीन कभी भी अपने अकेलेपन को अपनी ताकत नहीं बना पाया। जब से वह शहर आया है गुम सुम सा रहता है किसी से बातचीत नहीं करता है। बस अपने आप में ही खोया रहता है।

नवीन के मकान मालिक जिसका नाम चिंतामणि है की एक बेटी और दो बेटे हैं। एक बेटा और बेटी हाई स्कूल में पढ़ते हैं, और बड़ा बेटा सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है।

चिंतामणि का घर नवीन के कॉलेज के पास ही था। इसलिए नवीन कॉलेज जाने के लिए एक साईकिल खरीद लेता है। नवीन के पास घर में एक मोटरसाइकिल है लेकिन नवीन के पिता जी उसे शहर में मोटरसाइकिल चलाने से मना कर देते हैं। 

नवीन को शहर में अपने पड़ोस में एक खूबसूरत लड़की देखी। नवीन शाम को रोज उस लड़की को बगल वाले मकान की छत पर देखता। नवीन ने पूरे एक सप्ताह की तैयारी के बाद उस लड़की से उसका नाम पूछा।

लड़की ने संकोच के साथ कहा मेरा नाम काव्या है। नवीन को पहली ही नजर में काव्या से इतना प्रेम हो जाता है, की वह उस लड़की से मिलने के बाद बाबा जी की माला और चरणामृत फेंक देता है।

वो आ रहे हैं भाग 4 नवीन की प्रेमिका 

नवीन को लगा होगा की काव्या भी दूसरों की तरह मेरे अंधभक्त होने पर हंसेगी। इसलिए नवीन ने अपने कमरे से बाबा जी की फ़ोटो और चरणामृत को छुपा दिया। नवीन काव्या के सामने अपनी एक अच्छी छवि प्रस्तुत करना चाहता है। जिससे काव्या नवीन से दोस्ती कर ले।

नवीन अब दिन रात काव्या के बारे में सोचता है। साथ ही अब उसे अजीब डरावने सपने आते हैं। वो सपने पहले के जैसे सामान्य नहीं रहे बल्कि उन सपनो ने नाइटमेयर का रूप ले लिया। जब भी नवीन को नींद आती तो कोई नवीन का सिर दबा देता। अब नवीन को रात को नींद नहीं आती थी। इसलिए नवीन रात की बजाय दिन में सोने लगा। नवीन ने कॉलेज जाना बंद कर दिया। नवीन के कॉलेज के लड़के नवीन से मिलने आए और नवीन का हालचाल पूछा। नवीन कहने लगा की वो कुछ दिनों के लिए गांव जा रहा है। इसलिए अब कुछ दिनों तक मैं कॉलेज नहीं आऊंगा। अब नवीन बंद कमरे पर ही अकेले रहने लगा। नवीन को लगा की कोई भूत उसे परेशान कर रहा है। इसलिए वह भूत भगाने की तरीका ऑनलाइन खोज रहा था। नवीन के कमरे में तंत्र मंत्र के समान बिखरे हुए थे।

अचानक से नवीन के कमरे में काव्या आ गई नवीन को थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन नवीन मन ही मन खुश हो गया उसने काव्या से कुछ भी नहीं कहा। 

परंतु काव्या ने नवीन से कहा तुम कमरे में अकेले क्यों रहते हो क्या तुम्हे पड़ोसी से बातचीत करना अच्छा नहीं लगता। कभी कभी कमरे से बाहर की दुनिया भी देखनी चहिए। यह बहुत ही खूबसूरत और लाजवाब है। 

नवीन को अजीब लगा की कमरे में तंत्र मंत्र के समान के बारे में काव्या ने कुछ नहीं कहा। खैर नवीन ने काव्या की हां में हां मिलाई और कहा मैं अजनबियो से बात नहीं कर पाता। मैं इस शहर में नया हूं इसलिए किसी से अभी तक दोस्ती नहीं हुई। नवीन ने थोड़ा हड़बड़ाते हुए बोला क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी।

काव्या कुछ देर तक चुप रही और फिर बोली मैं भी अजनबियों से दोस्ती नहीं करती। अगर तुम्हे अजनबी लड़की से मित्रता करनी है तो तुम किसी दूसरी लड़की से कर लो। 

नवीन ने संकोच भरते हुए कहा फिर तुम मुझ से मिलने क्यों आई। काव्या ने कहा घबराओ नहीं मैं मजाक कर रही थी आज से हम दोनो दोस्त हैं। काव्या ने नवीन को अपना नंबर देते हुए कहा तुम खाली समय में मुझ से बात कर सकते हो। 

नवीन मन ही मन खुश होकर भगवान को धन्यवाद बोलकर अपने आप में ही बड़बड़ाने लगा। 

काव्या ने नवीन को झकझोरते हुए कहा किसकी यादों में खो गए। नवीन ने कहा की मुझे अभी अभी सूचना मिली की देश का एक वैज्ञानिक समूह मुझ से आज रात मिलना चाहता है।  वह मेरी खोज से प्रभावित होकर मुझे समानित करना चाहते हैं।

काव्या ने आश्चर्य से पूछा तुमने क्या खोज की है मुझे भी अपने खोज के बारे में बताओ। 

नवीन एकदम चुप हो गया उसने कुछ नहीं बता पाया। तो नवीन इधर उधर की बाते करने लगा की मैंने इंटरनेट पर कुछ खोज लिया है। जिसके बारे में किसी से बात नहीं करूंगा। 

इतने में ही नवीन ने आइना हाथ में लिया और काव्या से कहने लगा देखो वैज्ञानिकों ने मुझे वीडियो कॉल की है नवीन आईने के सामने वैज्ञानिकों से बात करने लगा।

इतने में मकान मालिक चिंतामणि कमरे के पिछले दरवाजे पर दस्तक देने लगा। नवीन दरवाजा खोलने गया। नवीन ने पीछे देखा तो काव्या वहां से गायब हो चुकी थी। 

चिंतामणी ने नवीन से कहा की तुमने क्या हालत बना रखी है। ये कुर्ता और पैजामा तुम पर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा और रसोई में ये मिट्टी के बर्तन क्यों रखे हैं। 

मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा की तुम आजकल इतने क्यों बदल गए हो। लगता है तुम पर भी स्वदेशी अपनाओ का भूत सवार हो गया है। और सब तो ठीक है लेकिन तुम ये तंत्र मंत्र करना बंद कर दो नहीं तो तुम्हें कमरा छोड़ना चाहिए।

नवीन हंसते हुए बोला अंकल आपको भी स्वदेशी अपनाना चाहिए। आप डरिए नहीं अंकल आजकल मुझे इस कमरे पर कोई भूत परेशान कर रहा है। उसको भगाने के लिए मैंने ये तंत्र मंत्र का सामान लाया हूं।

चिंतामणी ने कहा वो भूत हमे क्यों नहीं परेशान करता ये सब क्रिया घर पर करने की जरूरत नहीं है पास ही में एक तांत्रिक बाबा रहते हैं तुम उनसे मिलकर एक बार बात कर लो।

नवीन कहने लगा नहीं अंकल आज मेरे पास उतने पैसे नहीं है आज रात मुझे बहुत ज्यादा पैसा मिलने वाला है फिर कल मैं तांत्रिक बाबा से मिल लूंगा।

क्या आज रात तुम्हारी लॉटरी लगने वाली है यह कहते हुए चिंतामणी कमरे से बाहर चले गया। चिंता मणि को नवीन का व्यवहार कुछ अजीब लगने लगा।

चिंतामणि ने नवीन के पापा को कॉल पर नवीन के बारे में सब बता दिया की आजकल नवीन कमरे पर अजीब हरकते कर रहा है। 

चंद्रमोहन ने चिंतामणि से बताया कि कुछ नहीं नवीन नए लोगों से कम मिलता जुलता है इसलिए कुछ दिनों बाद सब ठीक हो जायेगा।

चिंतामणी ने भी उन बातो को नजरंदाज कर दिया और अपने कार्य पर व्यस्त हो गया। नवीन ने शाम को काव्या को कॉल किया और उससे बात करने लगा। काव्या ने नवीन से कहा की तुम सबसे अकेले चुप चाप क्यों रहते हो।

नवीन ने काव्या से कहा मेरे अतीत में बहुत बुरी घटनाएं घटी। जब मैं छोटा था तो मेरे माता पिता आपस में लड़ाई करते थे। मेरे पिता जी शराब पीकर घर आते थे, जिसके बाद मेरे माता पिता के बीच लड़ाई होती रहती थी। गांव में  किसी के घर जाने पर या किसी दोस्त को घर बुलाने पर मेरी मां मेरी पिटाई करती थी। इसलिए मैं घर में हमेशा अकेला रहता और अपने आप में ही खोया रहता।

एक दिन मैं खेलने में व्यस्त था उस दिन मैंने अपना पाठ याद नहीं किया। तो मेरी मां ने गर्म लाल चिमटा मेरे गाल पर रख दिया। उसके बाद मैं अकेले ही रहकर मैजिकल थिंकिंग करने लगा। तब मेरा सबसे अच्छा दोस्त टीवी बन गया। मैं अकेले दिन में टीवी देखता। अगर कोई व्यक्ति टीवी देखने मेरे घर पर आता तो अपनी मां के डर से मैं टीवी खराब कर देता।

मेरी मैजिकल थिंकिंग बढ़ने लगी चीजों को बार बार छुना। चलते समय कुछ कदम पीछे चलना। यह सब मेरी जिंदगी में आम बात हो गई। लोग मेरे बारे में चिंतित रहते थे की शहर में ऐसा करने पर दुर्घटना हो सकती है।

काव्या कॉल पर कहा यह घटनाएं उतनी बुरी नहीं है तुम्हें अपने अतीत को भूलकर अपने वर्तमान में जीना चहिए। 

नवीन ने कहा इन सब घटनाओं के चलते मुझे अजीब सपने आते हैं कोई मुझ से सपने में बात करते हैं। आजकल मुझे भूत भी परेशान कर रहा है। भूत मुझे रात को सोने नहीं देता।

काव्या ने इन सब बातों को नजरंदाज करते हुए कहा कि वैज्ञानिक तुमसे कितने बजे मिलेंगे।

नवीन ने आईने को सामने रखा और काव्या से कहने लगा की उनसे अभी मेरी बात हुई है वो कुछ ही देर में पहुंचने वाले हैं इसलिए अभी मैं कॉल कट कर रहा हूं। तुमसे बाद में कॉल करता हूं। 

नवीन को एक आवाज सुनाई देती है की तुम वैज्ञानिकों का इंतजार बाहर गेट पर करो वो आने वाले हैं। सब लोगों के सोने के बाद नवीन रात को गेट पर खड़ा होकर वैज्ञानिकों का इंतजार करने लगता है।

वो आ रहे हैं भाग 5 नवीन और भूत का सामना 

जब सुबह तक कोई नहीं आता तो नवीन निराश हो जाता है नवीन को एक आवाज सुनाई दी की अब तुम सो जाओ जब नवीन को नींद नहीं आती तो वह गुस्से में अपना फोन तोड़ देता है। नवीन के कानों से अजीब आवाजे भी सुनाई देने लगी। जिसमें लोग नवीन के बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहे थे। नवीन को अब कुछ भी समझ में नहीं आता की उसके साथ क्या हो रहा है। उसे लगा की कोई शैतान उसका बूरा करना चाहता है इसलिए अब नवीन शैतान से बचने के लिए संन्यासी के जैसे धोती पहनकर बाबा जी की संध्या आरती जोर जोर से करने लगा।

चिंतामणी ने जब नवीन के पिताजी को सारी बात बताई तो वह नवीन को लेकर चिंतित होने लगा। चंद्र मोहन ने चिंतामणि से कहा की नवीन को कॉल नहीं लग रही है क्या आप नवीन से मेरी बातचीत करवा देंगे। चिंतामणी कॉल पर नवीन की बात करवाने की कोशिश करता है लेकिन नवीन पिताजी से कोई बात नहीं करता। नवीन का पिताजी तुरंत शहर जाने के लिए तैयार हो जाता है।

नवीन को अब दिन में भी नींद नहीं आती इसलिए नवीन गांव जाने के लिए तैयार हो जाता है। जब नवीन मार्केट जा रहा था तो उसका पीछा एक नवयुवक करता है। नवीन इस बात से घबरा गया और गांव जाने की बजाय सीधे अपने कमरे पर आ गया। वह नवयुवक भी नवीन के पीछे नवीन के रुम पर आ जाता है। 

वह नवयुवक नवीन से कहता है डरो नहीं मेरा नाम संदीप है तुम्हारे साथ जो कुछ भी हो रहा है उसे मैं समझ सकता हूं। 

नवीन पसीने को पोंछते हुए बोला क्या इन सब घटनाओं के पीछे तुम हो। 

संदीप ने कहा मैं खुफिया एजेंसी आर एंड एडब्ल्यू के लिए काम करता हूं और हमारी एजेंसी ने तुम्हारे दिमाग पर एक चिप लगा दी है। जिसके जरिए हम तुम्हारे सपनों में तुम्हारे लिए कुछ संदेश भेजते हैं, जिसे तुम्हें डिकोड करना है। 

नवीन ने कहा की और जो आवाजे मेरे दिमाग में आ रही हैं उनका क्या?

संदीप- मैं उन आवाजों के बारे में कुछ नहीं जानता तुम उन आवाजों को फॉलो करना। मैंने तेरे परिवार के बारे में कुछ जानकारी जुटाई है। संदीप कुछ कागज नवीन को देते हुए बोला। कुछ विदेशी एजेंसी से पैसे लेकर तेरे पिता जी ने पास के दुकानदार के पास नशीला धीमा जहर दे रखा है दुकानदार उस जहर को तेरे खाने के समान में मिला देता है। इसलिए तू आज से इस खाने को मत खाना। तू जिंदा रहने के लिए बाज़ार से अनार का जूस पीना और होटल में भोजन करना और इन कागजों को आज ही जला देना क्यों की तेरा पिता जी तुझ से मिलने आ रहे हैं। 

नवीन ने कहा मेरे पास आज भोजन करने के भी पैसे नहीं है।

संदीप - तुम पैसे की चिन्ता मत करना सभी लोगों से हमने बात कर रखी है वो तूझे उधार में सब खाने का सामान दे देंगे। अभी मैं जा रहा हूं तुम अपना ख्याल रखना। 

नवीन के दिमाग में एक आवाज़ आई की अब तुम्हें कागजों के साथ कक्षा 10 और 12 की मार्कशीट की जरूरत नहीं है उन्हें जला दो। नवीन कमरे पर कोई सबूत नहीं छोड़ना चाहता था। इसलिए नवीन ने सब महत्वपूर्ण कागज और मार्कशीट जला दिए।

नवीन बाज़ार गया और सबसे पहले अनार का जूस उधारी में पिया। उसके बाद पनीर रोटी खाई। शाम के लिए कमरे पर दूध काजू, किशमिश, बादाम लेकर आया। 

जब नवीन ने शाम को दूध पी लिया तब उसके कमरे पर उसका पिताजी चंद्र मोहन आया। 

नवीन ने अपने पिताजी को कमरे से बाहर निकाल कर दरवाजा बंद कर दिया। 

चंद्र मोहन बाहर से नवीन को बुलाने लगा की हम दोनों कल सुबह गांव जा रहे हैं दरवाजा खोल दे। 

नवीन ने दरवाजा खोला और अपने पिताजी से बाबा जी के सामने 1000 दंडवत करके माफी मांगने को कहा।

नवीन का पिताजी 30 दंडवत करके थक कर बैठ गया। आजतक चंद्र मोहन जिस बाबा जी का विरोध करता था आज उसके सामने दंडवत कर रहा है इस पर नवीन गुस्सा हो गया। अब नवीन को पक्का भरोसा हो गया की उसका पिताजी उसे धोखा दे रहा है। नवीन अपने पिताजी को दरवाजे से बाहर धकेलने लगा। थोड़ी देर तक दोनों की दरवाजे पर नोक झोंक हुई। अंततः नवीन का पिताजी कमरे के अंदर आया और नवीन की रसोई में घुस गया। नवीन अपने पिताजी को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा था। लेकिन नवीन असफल रहा।

चंद्र मोहन ने नवीन के लिए भोजन बनाया। लेकिन नवीन ने वो खाना खाने से इंकार कर दिया। चंद्र मोहन ने नवीन को पैसे देने लगा की कुछ खाने का सामान ले आओ। इतने पर नवीन को लगा की विदेशी खुफिया एजेंसी मुझे खरीदना चाहती है।

नवीन ने पैसे लेने से इंकार कर दिया। नवीन के दिमाग में एक आवाज आई की तुम्हारा पिताजी के अंदर शैतान है और तुम्हें आज नरक के दूत का अभिनय करना है। 

नवीन ने अपनी बेल्ट उतार ली और अपने पिताजी को बेल्ट से पीटने का नाटक ऐसे करने लगा जैसे कमरे में कैमरे लगे हों।

चन्द्र मोहन ने नवीन को फोन देते हुए बोला की अपनी मां से बात कर लो। नवीन ने फोन पकड़ा और पटक के तोड़ दिया।

नवीन जब बहुत उग्र हो गया तो मकान मालिक चिंतामणि कमरे में पहुंच गया। वह नवीन को शांत करने की कोशिश करने लगा। नवीन ने उसको भी एक बेल्ट मार दी। 

चिंतामणी नवीन को पुलिस बुलाने की धमकी देने लगा नवीन जोर जोर से चिलाने लगा बुलाओ पुलिस को मैं भी यही चाहता हूं कि पुलिस आए।

चिंतामणी को नवीन की बातों और व्यवहार से अंदाजा लग गया की इसके ऊपर कोई भूत चढ़ गया है। चिंतामणी शांत होकर नवीन से कहने लगा की क्या तेरे अंदर भूत लग गया है जो तुझसे उल्टी सीधी हरकते करवा रहा है।

मैं अभी थपड़ मारकर तेरा भूत उतार देता हूं।

नवीन चिलाकर कहने लगा थपड़ मारकर दिखा। चिंतामणी चुप हो गया।

उसी शहर में ही रहने वाले अपने गांव के अतुल को चंद्र मोहन ने अपने कमरे में बुला लेता है। अतुल कमरे पर पहुंचकर दोनों को अपने कमरे पर चलने के लिए कहता है। नवीन थोड़ा शांत होकर जवाब देता है की मैं कल सुबह तक कमरे से बाहर नहीं निकलूंगा। नवीन को लग रहा था की उसके कमरे के बाहर अमेरिका के कमांडो खड़े हैं जो उसे मारने आ रहे हैं।

वो आ रहे हैं भाग 6 नवीन का भ्रम 

जब सुबह नवीन कमरे के बाहर आकर गली में दौड़ा तो नवीन का पिताजी नवीन के पीछे दौड़ा। नवीन ने बाहर आकर देखा तो दुखी हो गया। कोई उसके समान के लिए फूल माला नहीं लाया। नवीन थोडी देर के लिए रुका और फिर बाज़ार के लिए दौड़ने लगा। इतने में नवीन के पिताजी ने नवीन को कस कर पकड़ लिया।

नवीन जोर जोर से चिलाने लगा की तुम सब गद्दार हो। मुझे विदेशी खुफिया एजेंसी मारना चाहती है और तुम लोग उनके साथ मिले हुए हो।

मोहल्ले के सभी लोग नवीन को देखने लगे। काव्या भी अपने घर के बरामदे से नवीन को देख रही थी। नवीन काव्या को देखकर चुप हो गया। किसी को समझ नहीं आ रहा था की आज नवीन को अचानक क्या हो गया। 

अतुल और चंद्रमोहन ने नवीन को गाड़ी में बैठाया और शहर में मनोचिकित्सक के पास ले गए। रास्ते में नवीन के कानों में आवाज आ रही थी की गाड़ी में कैमरे लगे हैं। नवीन ने पीछे मुड़कर देखा तो खुफिया एजेंसी आर एंड डबल्यू में काम करने वाला संदीप नवीन का पीछा कर रहा था। रास्ते में जब नवीन खाना खाने के लिए गाड़ी से नीचे उतरा तो। 

संदीप ने इशारा करके उसे अपने पास बुला लिया और कहने लगा की तुम किसी भी प्रकार की दवा मत खाना। तुम बिल्कुल स्वस्थ्य हो डॉक्टर दवा में तुम्हें धीमा जहर देगा।

इतने में वहां अतुल और चंद्र मोहन आ गए। नवीन उनको देखते ही वहां से निकल गया। 

अतुल कहने लगा खाने में क्या खाओगे नवीन।

नवीन ने तुरंत जवाब दिया मटर पनीर।

उन्होंने भोजन किया और सीधे मनोचिकत्सक के पास पहुंच गए। नवीन ने अपने हाथ में बेल्ट पकड़ ली और अपनी बारी का इन्तजार करने लगा। 

नवीन को मनोचिकित्सक के पास ले गए। मनोचिकित्सक पूछने लगा क्या हुआ।

नवीन चुप हो गया। 

मनोचिकित्सक बोला तुमने भांग तो नहीं पी है।

नवीन चिलाकर बोला भांग तूने पी रखी है।

मनोचिकित्सक चुप हो गया और नवीन को कुछ दवा लिख कर दे दी।

नवीन बाहर आकर जोर जोर से चिलाने लगा की यहां पर परमाणु बम गिरेगा मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं मुझे दवा लेने की जरूरत नहीं है। चंद्र मोहन ने ये बात डॉक्टर को बताई। तो डॉक्टर ने कहा की एक दिन रुको कल नवीन को इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी देंगे।

नवीन के घर वालों ने रुकने से मना कर दिया और दवा लेकर अपने गांव चलने की तैयारी करने लगे। डॉक्टर ने चन्द्र मोहन को बता दिया की घर जाकर भी नवीन दवा नहीं लेगा। फिर चंद्र मोहन ने नवीन को गांव ले गया।रास्ते में नवीन को फिर से संदीप मिला। उसने नवीन से कहा की पाकिस्तान तुम्हारी गाड़ी पर हमला कर सकता है। तुम सावधान रहना गाड़ी में सो मत जाना। 

नवीन रास्ते में जागता रहा गांव पहुंचने में आधी रात हो गई। घर पहुंचकर नवीन के लिए चाय लाई गई नवीन को किसी पर भरोसा नहीं था। नवीन ने चाय को दीवार पर फेंक दिया। सब लोग हैरान हो गए। 

जब कमरे से सब लोग बाहर निकल गए तो नवीन ने दरवाजे को अंदर से लॉक कर दिया। बाहर से नवीन के घरवाले नवीन को बुलाने लगे। लेकिन नवीन ने किसी की बात नहीं सुनी।

सुबह होते ही नवीन के घरवालों ने दरवाजे का लॉक बाहर से तोड़ दिया। वो नवीन से बोलने लगे की चलो हम सब आज बाबा जी से मिलने जाते हैं। नवीन चलने के लिए तैयार हो गया।

नवीन के घर वालों ने नवीन को मनोचिकित्सक के पास ले गए। मनोचिकित्सक ने नवीन को ect दे दी। जिसके बाद नवीन दवा खाने के लिए भी तैयार हो गया। नवीन ने डॉक्टर को कुछ भी नहीं बताया। जिसके चलते मनोचिकित्सक ने नवीन को बाइपोलर डिसॉर्डर का निदान किया। 

कुछ दिनों बाद नवीन की तेजी ठीक हो गई। नवीन अब लोगों से घुल मिल कर रहने लगा। नवीन और नवीन का पिताजी दोनों शहर गए। नवीन अब शहर में ही रहकर अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहता था। लेकिन चंद्रमोहन ने नवीन का सारा सामान पैक कर लिया। और नवीन से कहने लगा अब से तुम गांव में ही रहोगे। मैंने कॉलेज वालों से बात कर ली है। तुम सिर्फ पेपर देने शहर आओगे।

चंद्र मोहन ने नवीन से कहा की तुम अपने व्यवहार के लिए चिंतामणी से माफी मांग लो। लेकिन नवीन चुप हो गया और वहां से दूर खड़ा हो गया।

नवीन और चन्द्र मोहन अब दोनों गांव आ गए। नवीन अब भी काव्या के बारे में सोच रहा था। नवीन कुछ दिनों बाद इंजीनियरिंग के पेपर देने शहर गया। एक दिन बिना बताए नवीन अपने मकान मालिक के घर गया। नवीन ने  चिंतामणि से माफी मांगी। और पास में ही रहने वाली काव्या नाम की लड़की के बारे में मकान मालिक के बेटे से पूछने लगा। उसने नवीन को बताया की यहां कोई काव्या नाम की लड़की नहीं रहती। नवीन को उनकी बातों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था। इसलिए नवीन खुद काव्या के घर गया और काव्या को बुलाने लगा। एक औरत बाहर आई और नवीन से कहा की यहां कोई काव्या नहीं रहती।

नवीन ने अपने फोन में काव्या का नंबर चेक किया तो वहां उसे नंबर नहीं मिला। नवीन को लगा की यह उसके विरुद्ध षडयंत्र चल रहा है। जिसके वजह से इन लोगों ने काव्या को उससे दूर कर दिया। 

नवीन अब कैसे भी करके संदीप से मिलना चाहता था। जो उसे इन सब घटनाओं के बारे में कुछ जानकारी दे सके। लेकिन नवीन के पास उसका कोई पता नहीं था। इसलिए नवीन वहां से सीधे अपने घर आ गया।

नवीन को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की उसके साथ क्या हो रहा है। नवीन को लग रहा था की बहुत जल्द खुफिया एजेंसी में उसकी नौकरी लगने वाली है। इसलिए नवीन शांत होकर संदीप का इन्तजार करने लगा। और संदीप की बताई बातों पर विश्वास करके अपने सपनों को डिकोड करने लगा। 

कुछ दिनों तक कोई नवीन से मिलने नहीं आया।फिर एक दिन परेशान होकर जब नवीन ने अपनी दवाई छोड़ दी। तो नवीन के दिमाग में आवाज आई की सरकार उसे शहर में एक अलग मकान और गाड़ी देगी। नवीन अब मकान और गाडी को पाने के लिए शहर के चक्कर लगाने लगा।  नवीन को कोई मकान और गाड़ी तो नहीं मिली। लेकिन नवीन को शहर में संदीप दिखाई दिया। नवीन तुरंत संदीप के पास पहुंचा और उससे कहने लगा की उसे काम कब मिलेगा। संदीप ने कहा की हम तुम्हें समाचार पत्रों और टीवी से गुप्त संदेश भेजेंगे तुम्हें उन्हें डिकोड करना है। और उसके अनुसार ही काम करना है। नवीन ने अपनी दिमाग की आवाजों के बारे में संदीप को बताया। संदीप ने फिर से कहा मुझे इनके बारे में कुछ नहीं पता।

नवीन ने अपनी बिमारी के बारे में इंटरनेट से कुछ सर्च किया और अब नवीन को समझ आने लगा की ये आवाजें बस उसका भ्रम है यह वास्तविक नहीं है। इसलिए नवीन ने निश्चय किया की वह बिना फैक्ट चेक किए अपने दिमाग की किसी भी बात पर विश्वास नहीं करेगा।

वो आ रहे हैं भाग 7 अजीब सपने कहां से आते हैं 

नवीन को अब रात को नींद नहीं आती है। उसके मन में लगातार विचार चल रहे थे। कभी उसे लग रहा था की उसके शरीर में कई आत्माएं एक साथ घुस गई है। नवीन रात को बैचेन होकर जग गया और मोबाइल में न्यूज़ देखने लगा जिससे की उसे खुफिया एजेंसी का सन्देश मिल सके। कुछ वीडियो देखकर नवीन ने खबरों के अलग अलग अर्थ निकाल दिए। जब नवीन को बहुत देर तक नींद नहीं आई तो नवीन ने नींद की दवा खा ली और सो गया। रात को नवीन को सपना आया जिसमें कुछ डॉक्टर नवीन से मिलने आए और उन्होंने कहा की हम भी बिना दवा तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकते। मानसिक बीमारी में हमारे पास भी देने के लिए वही दवा है जो तुम ले रहे हो। इसलिए तुम दवा मत छोड़ना। अगली सुबह बिना किसी कारण नवीन ने नाश्ता की थाली को गुस्से में फेंक दिया। 

चन्द्र मोहन ने नवीन को मनोचिकित्सक के पास ले गया। डॉक्टर ने मूड स्टेबलाइजर के साथ एंटी साइकोटिक ड्रग्स दे दिए। और नवीन को एक इंजेक्शन लगाया गया जिसके बाद नवीन के हालत में सुधार हो गया। और अब नवीन के दिमाग में आवाज़ सुनाई देनी बंद हो गई। 

चन्द्र मोहन और नवीन दोनों घर आ जाते है नवीन मोबाइल पर वीडियो देखकर सोचता की इस वीडियो में मेरे लिए गुप्त संदेश है। नवीन की हालत में सुधार तो आया लेकिन नवीन को अब यह लगता है, की खुफिया एजेंसी उसके साथ प्रयोग कर रही है। इसलिए अब भी नवीन कल्पनाओं में खोया रहता। सपनों और वीडियो को डिकोड करता। और सोचता की भारत सरकार उसे संदेश भेज रही है। जब एक वर्ष तक नवीन को कुछ नहीं मिला और ना ही संदीप ही उससे मिलने आया। तो सरकार से नवीन का भरोसा उठ गया। उसके बाद नवीन को लगने लगा की सरकार उसके जीवन से खेल रही है। कई बार तो नवीन ने सपनों से प्रभावित होकर इतने गलत फैसले लिए की इन सब की वजह से उसकी जान भी जा सकती थी। 

अधिकतर समय नवीन को यह लगता की वह किसी सिमुलेशन में जी रहा है। नवीन ने दो साल बाद अपनी इंजीनियरिंग की पढाई छोड़ दी। परिवार वालों ने बहुत समझाया। लेकिन नवीन ने पेपर में यूनिवर्सिटी को अपनी मन की भड़ास लिख कर अपनी पढ़ाई को छोड़ दिया।

नवीन को अब लग रहा था की सब लोग मिलकर उसके खिलाप षडयंत्र कर रहे हैं। नवीन खुद तसली देता की वह ठीक कर रहा है। पहले सेमेस्टर परीक्षा में नवीन के कॉलेज में खूब नकल हुई। दूसरे सेमेस्टर में यूनिवर्सिटी ने क्लास में कैमरे लगा दिए। जिसके चलते नवीन को शक हो गया की यह सब इंतजाम उसे फेल करने के लिए किया गया है। 

घर आकर नवीन को खाने से अजीब गंध आने लगी नवीन को लगा की सरकार उसकी परिवार वालों से मिल गई है। जो उसके खाने में ऐसी दवा मिला रहे हैं। जिससे की नवीन खाना ना खा पाए। 

नवीन ने परिवार वालों से कहा की मुझे खाने में अजीब गंध आ रही है। परिवार वालों ने कहा हमें तो खाने से कोई अजीब गंध नहीं आ रही है। यह तुम्हारे मन का भ्रम है। कुछ दिन दवा लो फिर सब ठीक हो जाएगा। लेकिन नवीन किसी की बात पर भरोसा नही करता और अपने ही परिवार वालों पर शक करता है।

नवीन को लगता की उसके परिवार वाले सरकार से पैसे ले रहें हैं। और उसके साथ अच्छे होने का नाटक कर रहे हैं। एक दिन नवीन चुपचाप भेड़ बकरी वालों के साथ जंगल चले गया। उस दिन वह सपने का इंतज़ार करने लगा लेकिन उसे कोई सपना नहीं आया। उस दिन शहर के जैसे कोई नवीन का सर दबाने लगा। नवीन को लगा की कोई भूत उसे परेशान कर रहा है। नवीन को रातभर नींद नहीं आई और नवीन सुबह होते ही घर आ गया। 

नवीन को कोई फिर से परेशान कर रहा था यह बात नवीन ने मनोचिकित्सक को बताई और कहा की सरकार उसके साथ अजीब प्रयोग कर रही है। जिसकी वजह से उससे कोई सपने में बात करता है। वह लोग मेरे बारे में सबकुछ जानते हैं। वह मुझे सपने में मेरी यादों और भविष्य में मेरे साथ घटित होने वाली घटनाओं के बारे में बताते हैं। डॉक्टर ने कहा यह तुम्हारा भ्रम भी तो हो सकता है। इसपर नवीन चुप हो गया और मनोचिकित्सक से पूछने लगा की क्या दिमाग पर चिप लगा सकते हैं।

डॉक्टर ने कहा - नहीं, यह बात तुम्हे कैसे पता चली की दिमाग में चिप लगा सकते हैं।

नवीन ने कहा - मुझे यह संदीप ने बताया की खुफिया एजेंसी ने मेरे दिमाग पर चिप लगा रखी है।

डॉक्टर ने कहा - यह संदीप कौन है?

नवीन - संदीप खुफिया एजेंसी आर एंड डबल्यू के लिए काम करता है। 

इन सब बातों को सुनकर डॉक्टर नवीन को एंटी साइकोटिक ड्रग की डोज बढ़ा देता है। डॉक्टर नवीन की बीमारी की हिस्ट्री देख कर कहता है की यह सब आपके मन का भ्रम है कोई संदीप तुम से मिला ही नहीं क्यों की तुम्हारे अलावा कोई दूसरा व्यक्ति संदीप को ना जानता है ना उन्हें संदीप कभी तुम्हारे साथ दिखा।  

पहले तो नवीन को इन बातों पर यकीन नहीं होता लेकिन

नवीन के पास संदीप और अपनी बातों का कोई सबूत नहीं था इसलिए वह डॉक्टर की बातों पर यकीन करके रोज अपनी दवा लेने का निश्चय करता है।

अब नवीन के मन में एक ही प्रश्न उठता की ये सपने कहां से आ रहे हैं। दिन में जब नवीन सो रखा था तो किसी ने उसका सिर दबाया और नवीन की आंखे खुल गई लेकिन फिर भी कोई उसे दबा रहा था। नवीन ऊपर देखा तो नवीन को कुछ भी नहीं दिखाई दिया। नवीन को अब समझ आने लगा की कोई भूत उसे परेशान नहीं करता। नवीन के मन पर एक ही प्रश्न चलता रहता है की यह सपने कहां से आते हैं? कौन सपने में उससे बात करता है। कौन सपने में उसे परेशान करता है। यह ऐसे प्रश्न खड़े हुए जिनके लोगों ने अलग अलग जबाब दिए लेकिन नवीन किसी भी उतर से संतुष्ट नहीं हुआ।

- शशि प्रेम 

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भाग 8 नवीन का विजन और दैत्य 

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