महेश कुछ दिनों पहले ही गांव से पलायन करके शहर पहुंचा। वह अपना गुजारा चलाने के लिए एक नौकरी की तलाश कर रहा है। महेश अपने अतीत से बहुत दुखी है। जब महेश गांव में रहता था तब कुछ लोगों ने मिलकर उस गांव पर हमला कर दिया। उन्होंने पूरे गांव को लूटकर गांव को तहस नहस कर दिया। कुछ लोग उस हमले में मारे गए कुछ घायल हो गए। महेश इस लूट की वजह से अपने परिवार को गांव में ही छोड़कर नौकरी की तलाश में शहर आ गया। महेश को एक होटल में नौकरी मिल गई। अब महेश का जीवन बहुत अच्छा चलने लगा। लेकिन एक दिन महेश को सपने में एक परी दिखाई दी। जिस परी ने महेश से कहा कि तुम्हारी जो इच्छा है उसे मैं पूरा कर दूंगी। महेश ने सपने में परी से कहा कि मेरा गांव फिर से बस जाए और वहां रहने वाले सदा खुश रहे। परी ने कहा ठीक है मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूंगी।
कुछ दिन बाद जब महेश गांव गया तो महेश ने देखा कि गांव पहले की तरह बस गया है और सब लोग खुशी से गांव में रह रहे हैं। अब यह सब देखकर महेश दुखी हो गया क्यों कि महेश को कोई पहचान नहीं रहा था उसके घरवाले भी महेश को देखकर खुश नहीं हुए वह भी महेश को भला बुरा कहने लगे क्योंकि महेश ने उन्हें अकेला छोड़कर शहर चला गया। अब महेश भी गांव में अपने परिवार के साथ रहने लगा। एक दिन परी फिर से महेश के सपने में आई और महेश की दूसरी इच्छा पूछी महेश ने परी से कहा मैं बहुत अमीर और प्रसिद्ध होना चाहता हूं। परी ने महेश को कहा ठीक है। कुछ दिन बाद महेश बहुत अमीर और प्रसिद्ध हो गया। महेश अब अपने परिवार से अलग रहने लगा वह अकेलेपन से बहुत उदास हो गया। एक दिन परी फिर से महेश के सपने में आई और बोली कि इस बार तुम बताओ कि तुम्हारी इच्छा क्या है तो महेश बोला इस दुनिया में बहुत दुख है मैं तुम्हारे साथ तुम्हारी दुनिया में चलना चाहता हूं इतने बोलते ही नवीन की आँखें खुल जाती हैं और उसका गांव पहले की तरह दिख रहा था महेश को समझ में आ गया कि वह सपने में सपना देख रहा था। इस सपने के बाद महेश बहुत प्रसन्न हो गया क्यों कि अगले ही दिन उसे अपने सपनों की परी इसी दुनिया में मिल गई। महेश के समझ में अब यह नहीं आ रहा था कि अभी तक जो उसने जो देखा और किया वह सब सपना था या हकीकत। महेश पुरानी बातों को भूलकर उस परी के साथ खुशी खुशी रहने लगा।
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